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कविता ःःलकीरें

कविता ःःलकीरें

★★★★★★★★
लकीरें...!!
लकीरों पर ही तो तकदीरें लिखी होतीं हैं
लकीर जो विधाता ने खींच दिया

लकीरें ,कुछआड़ी,कुछ तिरछी 
जिनसे हमने लिखना सीखा

लकीरें जो लिख जातीं हैं एक नौयौवना के माथे पर
एक अनजान जन्मों के मीत बन जाते हैं।।

ये लकीरें ही तो अनमोल हैं
हमारे जीवन का प्रतिरूप हैं।

****
स्वरचित
सीमा...✍️

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1 Comments

Niraj Pandey

21-Aug-2021 05:30 AM

वाह

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